दालचीनी - अमृत औषधि




प्राचीन काल से ही भारत औषधियों का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक देश रहा है.जलवायु की अनुकूलता के चलते मनुष्य की हर बीमारी की औषधि भारत की वनस्पति से प्राप्त होती है. आज जिन्हें हमारी रसोई में मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है, वे वास्तव में औषधियां हैं. जैसे हल्दी, जीरम धनिया, लॉन्ग, इलायची, दालचीनी इत्यादि. भारत प्राचीन काल से ही वैद्य उनका प्रयोग औषधियों के रूप में करते थे. भारत से इनका बड़े स्तर पर निर्यात होता था, और भारतीय निर्यातक इन औषधियों के बदले सोना प्राप्त करते थे. इन्ही सुगन्धित औषधियों के कारण भारत पर विदेशी आक्रान्ताओं के हमले होते रहे, जो आज भी जारी हैं. आज हमें ज़रुरत हैं इनकी विशेषताओ को जानने की जिससे हम इनको सुरक्षित और संरक्षित कर सकें. 
इस कड़ी में हम सबसे पहले बात करेंगे दालचीनी की. दालचीनी दक्षिण भारत का एक प्रमुख वृक्ष है. इस वृक्ष की छाल को औषधि और मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है. अगर आप इसको सिर्फ गरम मसाले का एक अंग मानते हैं तो ये लेख आपकी सोच को बदल देगा. 

 
मधुमेह के रोगियों के लिए :

दालचीनी कैल्शियम और फाइबर का एक बहुत अच्छा स्रोत है। दालचीनी मधुमेह को सन्तुलित करने के लिए एक प्रभावी ओषधि है, इसलिए इसे गरीब आदमी का इंसुलिन भी कहते हैं।
दालचीनी ना सिर्फ खाने का जायका बढ़ाती  है, बल्कि यह शरीर में रक्त शर्करा को भी नियंत्रण में रखता है। जिन लोगों को मधुमेह नहीं है वे इसका सेवन करके मधुमेह से बच सकते हैं। और जो मधुमेह के मरीज हैं वे इसके सेवन से ब्लड शुगर को कम कर सकते है।

सावधानी:- दालचीनी बताई गई अल्प मात्रा में लें, इसे अधिक मात्रा में लेने से हानि हो सकती है। रोजाना थोड़ा-थोड़ा हीं सेवन करें।  दालचीनी का सेवन करने से पहले आप अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य करें। 

सेवन विधि:-

•    1 कप पानी में दालचीनी पाउडर को उबालकर, छानकर रोजाना सुबह पियें। इसे कॉफी में भी मिलाकर पी सकते हैं। इसे सेवन करने से मधुमेह में लाभ होगा।

•    रोज तीन ग्राम दालचीनी लेने से न केवल रक्त शर्करा की मात्रा कम होती है, बल्कि  सही से भूख भी लगती है। 
•    दालचीनी को पीसकर चाय में चुटकी भर मिलाकर रोज दिन में दो तीन बार पीएं। इससे मधुमेह की बीमारी में आराम मिलेगा।
•    दालचीनी और पानी के घोल के प्रयोग से रक्त में शर्करा के स्तर में कमी आ जाती है।

दालचीनी और शहद का प्रयोग
दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, और बैक्टीरियारोधी है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई हैं। 
दालचीनी और शहद का प्रयोग हमारे यहाँ सदियों से होता रहा है।

शहद को कौन नहीं जानता! मधुमक्खियों की कड़ी मेहनत का फल है शहद। कई तरह की शर्कराएँ जैसे ग्लूकोज, फ्रुक्टोज और सुक्रोज का भंडार है शहद। इसके साथ ही इसमें तरह-तरह के अमीनो अम्ल और लिपिड भी मिलते हैं। शहद शीतल, स्वादिष्ट तथा कृमिनाशक है। श्वास रोग, हिचकी और अतिसार में यह उपयोगी है। क्षयरोग को नष्ट करता है और सबसे खास बात यह है कि यह योगवाही है अर्थात जिसके साथ इसका योग हो, उसके समान गुण करने वाली है। शहद की एक प्रमुख विशेषता यह है की शहद हजारो वर्ष तक भी ख़राब नहीं होता.

दालचीनी और शहद के मिश्रण को सोने पर सुहागा कहा जाता है। ऐसा कौन-सा रोग है, जिसका इलाज इस योग द्वारा नहीं किया जा सकता है! गठिया, दमा, पथरी, दाँत का दर्द, सर्दी-खाँसी, पेट रोग, थकान, यहाँ तक कि गंजेपन का भी इलाज इस मिश्रण के द्वारा किया जा सकता है। आयुर्वेद और यूनानी पद्धति में तो शहद एक शक्तिवर्धक औषधि के रूप में लंबे समय से प्रयुक्त की जा रही है। इसके विभिन्न गुण अब दुनिया भर में किए जा रहे शोधों से उजागर हो रहे हैं।

कनाडा से प्रकाशित 'वीकली वर्ल्ड न्यूज' में पश्चिमी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध के आधार पर दालचीनी और शहद से ठीक होने वाले रोगों की एक सूची दी गई है। त्वचा और शरीर  को चमकदार और स्वस्थ बनाने के लिए इन दोनों का उपयोग करना चाहिए।

दालचीनी और शहद का योग पेट रोगों में भी लाभकारी है। पेट यदि गड़बड़ है तो इसके लेने से पेट दर्द ठीक हो जाता है और पेट के छाले भी खत्म हो जाते हैं। खाना खाने से पहले दो चम्मच शहद पर थोड़ा-सा दालचीनी पावडर बुरककर चाटने से एसिडिटी में राहत मिलती है और खाना अच्छे से पचता है।


दालचीनी के अन्य अनुप्रयोग

- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।
- दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए। दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रातभर रहने देते है। मालिश अगर दिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं।
- दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है।

- दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।
- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।
- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।
- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।
- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।
- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।
- दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।

-तीन बडे चम्मच शहद और एक चाय चम्मच दालचीनी पावडर का पेस्ट बनाएं। रात को सोते वक्त चेहरे पर लगाएं। सुबह गरम जल से धोलें ।  दो हफ़्ते के प्रयोग से मुहासे समाप्त होकर चेहरा कांतिमान दिखेगा।- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं
- आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है।
-गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या बेहद आम है। इससे छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं। इसे सिर में लगाए और पंद्रह मिनट बाद धो लें।
- एक चम्मच दालचीनी पाउडर और पांच चम्मच शहद मिलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।
- सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।
- पेट का दर्द-शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है।
- खाली पेट रोजाना सुबह एक कप गरम पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।

-शहद और दालचीनी के पावडर का मिश्रण लेने से पेट दर्द और पेट के अल्सर जड से ठीक हो जाते हैं। जापान और भारत में किये गये रिसर्च में साबित हुआ है कि दालचीनी और शहद के प्रयोग से उदर की गैस का भी समाधान हो जाता है। 
-लंबी उम्र के लिये  दालचीनी और शहद का काढ़ा (चाय)  नियमित उपयोग करें।  तीन गिलास पानी उबालें । इसमें चार चम्मच  शहद और एक चम्मच दालचीनी का पावडर मिलाएं। एक चौथाई गिलास काढ़ा हर तीसरे घंटे पीयें।  इससे त्वचा स्वच्छ और झुर्री रहित बनाने में मदद मिलती है। बुढापे को दूर रखने का सर्वोत्तम उपाय है।   
-ठंडी हवा लगने, सर्दी में घूमने या ठंड लगने से होने वाले सिर दर्द को दूर करने के लिए दालचीनी को पीसकर पानी के साथ सिर पर लेप की तरह लगाने से आराम मिलता है. गर्मी के कारण होने वाले सिरदर्द में दालचीनी, मिश्री और तेजपात को चावलों के पानी में पीसकर सूंघने से सिरदर्द दूर हो जाता है. लगभग 5 या 6 बूंद दालचीनी के तेल को 2-3 चम्मच तिल के तेल में मिला कर मालिश करने से सिर का दर्द दूर हो जाता है. दालचीनी को पानी में रगड़ कर माथे पर लेप करने से सिरदर्द और तनाव दूर हो जाता है. सर्दी के कारण सिरदर्द होने पर पानी में दालचीनी पीसकर गर्म करके ललाट और कनपटी पर लेप करने से लाभ मिलता है.
केंसर के लिए
जापान और आस्ट्रेलिया के वैज्ञानिको  ने  आमाषय और  अस्थि  केंसर की बढी हुई स्थिति  को दालचीनी और शहद का उपयोग  से  पूरी तरह काबू  में किया है। ऐसे रोगियों को एक बडा चम्मच शहद और एक चाय चम्मच  दालचीनी के पावडर  गरम जल के साथ एक माह तक लेना चाहिये।


 
शहद और दालचीनी के उपयोग से इम्युन सिस्टम ताकतवर बनता है।  खून मे सफ़ेद कणों की   वृद्धि होती  है जो रोगाणु  और वायरस  के हमले से शरीत्र की सुरक्षा करते  है। जीवाणु और वायरल बीमारियों से लडने की ताकत बढती है।


ह्रदय रोग के लिए 
 शहद और दालचीनी के पावडर का पेस्ट बनाएं और इसे रोटी पर चुपडकर खाएं। घी या जेली के स्थान पर यह पेस्ट इस्तेमाल करें। इससे आपकी धमनियों में कोलेस्टरोल जमा नहीं होगा और हार्ट अटेक से बचाव होगा। जिन लोगों को एक बार हार्ट अटेक का दौरा पड चुका है वे अगर इस उपचार को करेंगे तो अगले हार्ट अटेक से बचे रहेंगे। इसका नियमित उपयोग करने से    द्रुत श्वास की कठिनाई दूर होगी । हृदय की धडकन में शक्ति का समावेश होगा। अमेरिका और कनाडा के कई नर्सिंग होम में प्रयोग किये गये हैं और यह निष्कर्ष आया है कि जैसे-जैसे मनुष्य बूढा होता है, उसकी धमनियां और शिराएं कठोर हो जाती हैं। शहद और दालचीने के मिश्रण से धमनी काठिन्य रोग में हितकारी प्रभाव देखा गया है।   बढे हुए कोलेस्टरोल में दो बडे चम्मच शहद और तीन चाय चम्मच दालचीनी पावडर मिलाकर आधा लिटर मामूली गरम जल के साथ लें। इससे सिर्फ़ २ घंटे में खून का कोलेस्टरोल लेवल 10 प्रतिशत नीचे आ जाता है। और दिन मे तीन बार लेते रहने से कोलेस्टरोल बढे हुए पुराने  रोगी भी ठीक हो जाते हैं।


संधिवात के लिए
संधिवात रोगी दो बडे चम्मच  शहद और एक छोटा चम्मच दालचीनी का पावडर एक गिलास मामूली गर्म जल से लें। सुबह और शाम को लेना चाहिये। इस प्रयोग से केवल एक हफ़्ते में ३० प्रतिशत रोगी संधिवात के दर्द से मुक्त होने की संभावना है. एक महीने के प्रयोग से जो रोगी संधिवात की वजह से चलने फ़िरने में असमर्थ हो गये थे उनके भी चलने फ़िरने लायकहोने की संभावना है.


मूत्राशय के संक्रमण के लिये 
दो बडे चम्मच दालचीनी का पावडर और एक बडा चम्मच शहद मिलाकर गरम पानी के साथ देने से मूत्रपथ का संक्रमण नष्ट हो जाता है. 
मोटापे के लिए
 एक चाय चम्मच दाल चीनी पावडर  एक गिलास जल में उबालें  फ़िर आंच से उतारकर  इसमें दो बडे चम्मच शहद  मिलाकर सुबह नाश्ते से ३० मिनिट पूर्व   सुहाता गरम पीयें।   ऐसा ही रात को सोने के पहिले करना है। यह उपचार नियमित लेने से शरीर  की अनावश्यक चर्बी समाप्त होती है और अधिक केलोरी वाला भोजन लेने पर भी शरीर में चर्बी नहीं बढती है।

6 comments:

  1. बहुत ही अच्छी और उपयोगी जानकारी है ......धन्यवाद

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  2. आपके द्वारा दी गयी जानकारी से मुझे लाभ हुआ

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  3. आपके द्वारा दी गयी जानकारी से मुझे लाभ हुआ

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  4. जानकारी के लिए धन्यवाद। कृपया ये भी देते कि भूखे पेट लेना है या भोजन के कितने समय बाद लेना है।

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  5. Wonderful...It really works.

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  6. Kitani मात्रा होनी चाहिए संधीवात कैसे
    उपयोग मे लाये

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